(पूज्यपाद श्री स्वामी सत्यानंद जी महाराज प्रवचन देने से पूर्व उक्त दो श्लोक बोला करते थे।)
श्री राम शरणम्, ग्वालियर
परम संत, पूज्यपाद श्री स्वामी सत्यानंद जी महाराज द्वारा 02 मई, 1936 में श्री स्वामी सत्यानंद धर्मार्थ ट्रस्ट का गठन लाहौर (विभाजन पूर्व पंजाब) में किया गया। साथ ही इस ट्रस्ट की नियमावली भी बनाई। ट्रस्ट में 5 सदस्य बनाये गये। इस ट्रस्ट का मुख्य कार्य पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के बनाए गए नियमोंनुसार सत्संग के सभी प्रकार के कार्य – प्रबंधन, पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के ग्रंथों का प्रकाशन एवं उनका सुव्यवस्थित वितरण करना इत्यादि था । विभाजन पश्चात् वर्तमान में यह ट्रस्ट नई दिल्ली में कार्यशील है। कुछ समय पश्चात् पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज द्वारा रामनाम के प्रचार- प्रसार हेतु एवं सत्संग के सभी कार्यक्रमों के आयोजन करने हेतु एक आध्यात्मिक संस्था ‘रामसेवक संघ’ की स्थापना की गई। राम- सेवा के इस कार्य में कुछ साधक सध जायें, इसके लिए पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज ने सर्वप्रथम पांच साधकों स्वामी रामानन्द जी (उत्तरप्रदेश) स्वामी राजा राम जी, श्री भगत हंसराज जी ( गोहाना), श्री वैष्णव दास, श्री राम कृष्ण (जम्मू) को हरिद्वार में सप्त सरोवर गंगा तट पर व्रत दिलवाया एवं उन सभी को पांच बिन्दु के प्रारूप वाले प्रतिज्ञा – पत्र पर हस्ताक्षर कराकर प्रतिज्ञा दिलाई और उन्हें रामसेवक संघ का सदस्य बनाया गया। पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज ने प्रवचन पीयूष के पृष्ठ क्रमांक- 383 पर इसके बारे में वर्णन किया है एवं श्री भक्ति प्रकाश के पृष्ठ – 28 पर दोहा ‘भक्ति भाव से हो भरा, राम सुसेवक संघ’ के छः दोहों में भी रामसेवक संघ के संदर्भ में उल्लेख किया है। …
परम सन्त पूज्यपाद श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज की साधना-पद्धति का उद्देश्य है-
‘वृद्धि-आस्तिक भाव की, शुभ मंगल संचार ।
अभ्युदय सद्धर्म का, राम नाम विस्तार।।’
श्री राम शरणम्, ग्वालियर
सन् 1948 में पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज का प्रथम शुभागम ग्वालियर में हुआ तभी से ग्वालियर के भाग्य जागे।…