व्यास पूर्णिमा-विक्रम सम्वत् 2080

Shree Ram Sharnam Gwalior

श्री राम शरणम्

राम सेवक संघ, ग्वालियर

श्रीरामशरणम् – ग्वालियर

परम सन्त श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज की आध्यात्मिक सत्संग-स्थल ‘श्रीराम शरणम्’ में अध्यात्म और प्रेम की अनूठी गंगा बहती है। राम-नाम के माध्यम से जहां एक ओर यह स्थल आध्यात्मिक है, वहीं दूसरी ओर सामान्य जीवन के शिष्टाचार और अनुशासन का पाठ पढ़ाता है। इस पावन-पुण्य सत्संग स्थल में प्रवेश करते ही ऐसा प्रतीत होता है, मानो अदृश्य तरंगें समस्त मानसिक तनाव का हरण कर रही हैं।

श्रीरामशरणम् – ग्वालियर का ऐतिहासिक विवरण

अमृतवाणी सत्संग का इतिहास

सन् 1948 में पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज का प्रथम शुभागम ग्वालियर में हुआ तभी से ग्वालियर के भाग्य जागे। आपसे सन् 1949 में ग्वालियर के कुछ साधकों ने नाम दीक्षा ग्रहण की। सन् 1950 में प्रथम पंचरात्रि साधना- सत्संग केशरबाग, ग्वालियर में आयोजित हुआ, जिसमें लगभग बारह साधक सम्मिलित हुए। उसके पश्चात् दो साधना- सत्संग गुलाबचंद का बाग, ग्वालियर में सन् 1951 तथा 52 में सम्पन्न हुए। आगे प्रति वर्ष बिरला हाउस, ग्वालियर में पंचरात्रि साधना – सत्संग सन् 1953 से सन् 1971 तक आयोजित होते रहे। इस प्रकार साधकों की संख्या में निरन्तर वृद्धि होती गई। सन् 1955 में ग्वालियर में साप्ताहिक सत्संग करने का निर्णय हुआ। ग्वालियर में ज्ञान मन्दिर विद्यालय का हॉल सत्संग के लिए नियत किया गया। उसमें प्रति रविवार प्रातः 7 बजे से 8:30 बजे तक अमृतवाणी सत्संग आयोजित होने लगा।

सत्संग भवन का निर्माण

ज्ञान मन्दिर विद्यालय के समीप ही श्री अम्मा महाराज की छत्री में एक छोटा सा सत्संग भवन श्री माधव सत्संग आश्रम था, जो बंद-सा हो गया था। उसकी कमेटी के सदस्यों ने हमें सम्पर्क कर वहाँ अमृतवाणी सत्संग करने के लिए आमंत्रित किया। इस पर विचार-विमर्श कर उनके इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया। एक नवीन कार्यकारिणी का गठन किया गया। तत्कालीन अध्यक्ष महोदय द्वारा श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया ग्वालियर से आशीर्वाद प्राप्त कर उक्त स्थान पर सत्संग हॉल के निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई।

सत्संग हॉल के निर्माण के साथ-साथ कुछ कमरों का भी निर्माण कराया गया। इसमें एक कक्ष अखण्ड जाप के लिए एवं एक कक्ष पूज्य श्री महाराज जी के निवास के लिए नियत हुआ। 200 साधकों के लिए साधना – सत्संग में ठहरने के लिए सभी आवश्यकतानुसार व्यवस्थाएँ की गई। इस प्रकार श्रीरामशरणम् भवन सम्पूर्ण रूप से निर्मित हो गया। हरिद्वार श्रीरामशरणम् के अनुरूप ही सत्संग हॉल में श्री अधिष्ठान जी की स्थापना के साथ दाईं ओर पूज्य श्री स्वामी जी महाराज का चित्र (कट-आउट) की स्थापना भी की गई एवं स्थितप्रज्ञ के लक्षण तथा भक्ति एवं भक्त के लक्षण, धुनें अंकित की गई।

सत्संग हॉल के मुख्य द्वार पर “श्रीरामशरणम्”, प्रवेश द्वार पर “श्रीरामशरणम् गच्छामि ” एवं श्री अधिष्ठान जी के ऊपरी भाग पर “श्रीरामशरणम् वयं प्रपन्नाः” अंकित किया गया। अखण्ड जाप के कमरे में श्री अधिष्ठान जी के ऊपरी भाग पर ‘श्रीरामशरणम् अहं प्रपद्ये’ अंकित किया गया। इस प्रकार भव्य सुसज्जित ग्वालियर श्रीरामशरणम् भवन निर्मित हुआ ।

पूज्य श्री प्रेम जी महाराज द्वारा भव्य उद्घाटन

ग्वालियर श्रीरामशरणम् भवन के शुभारम्भ के लिए रविवार 8 अक्टूबर, 1972 (अश्विन शुक्ल, नवरात्रि प्रतिपदा, विक्रम सम्वत् 2029) की तिथि नियत की गई। इस हेतु पूज्य श्री प्रेम जी महाराज से भव्य उद्घाटन की अनुमति प्राप्त की गई। मंगल प्रवेश के पूर्व एक करोड़ राम नाम का जाप किया गया। शुभ दिन 8 अक्टूबर, 1972 को पूज्य श्री प्रेम जी महाराज अखण्ड जाप से ज्योति ले कर राम धुन गाते हुए मुख्य द्वार पर पधारे। वहाँ से ‘मंगल नाम जय जय राम धुन गाते हुए, शुभ प्रवेश किया और श्री अधिष्ठान जी के समक्ष ज्योति की स्थापना की। सत्संग हॉल में सभी साधकगण विराजमान हुए, तत्पश्चात पूज्य श्री महाराज जी ने ध्यान, प्रार्थना, आरती एवं मधुर मिलन का कार्यक्रम सम्पन्न किया।

उद्घाटन दिवस पर परम पूजनीय प्रेम जी महाराज के भावपूर्ण चित्र

इस कार्यक्रम के दौरान सभी साधकों को ऐसे दिव्य अलौकिक दृश्य का अनुभव हो रहा था जैसे पूज्य श्री महाराज जी दिव्य लोक में आरती कर रहे हैं, जो उनके तेजोमय मुख मण्डल एवं भाव भंगिमा से सहज दृष्टिगोचर हो रहा था। सभी साधक भाव-विभोर होकर साक्षात् परमात्मा श्री राम कृपा के अवतरण की अनुभूति कर रहे थे। अन्त में बाहर आकर पूज्य श्री महाराज जी ने सभी को प्रसाद वितरण किया। इस प्रकार श्रीरामशरणम्, ग्वालियर के मंगल उद्घाटन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

सत्संग कार्यक्रम

श्रीरामशरणम् ग्वालियर में पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज की आज्ञानुसार तथा पूज्य श्री महाराज जी के निर्देशानुसार प्रार्थना कोष पूर्ण निष्ठा से कार्यरत है। सत्संग सम्बन्धी सभी कार्यक्रम ‘राम सेवक संघ’ के मार्गदर्शन में सुचारु रूप से चल रहे हैं। इस श्रीरामशरणम् में दैनिक सत्संग, साप्ताहिक सत्संग, अखण्ड जाप, श्री रामायण जी एवं श्री गीता जी पाठ के कार्यक्रम सुचारु रूप से सम्पन्न हो रहे हैं। वार्षिक साधना – सत्संग भी सन् 1972 से यहाँ सम्पन्न होता आ रहा है।

श्री राम कृपा से सत्संग के सभी कार्यक्रम सुचारु रुप से पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के नियम व अनुशासन के अन्तर्गत विधिपूर्वक निर्विघ्न सम्पन्न हो रहे हैं।

(एक प्रत्यक्षदर्शी साधक का विवरण)

उद्घाटन कार्यक्रम का संस्मरण –

उद्घाटन कार्यक्रम के पश्चात् ग्वालियर की सुप्रसिद्ध दुकान के बूंदी के लड्डू का प्रसाद पूज्यश्री प्रेम जी महाराज ने अपने कर-कमलों द्वारा वितरित किया । साधकों की संख्या अधिक होने के कारण पूज्यश्री महाराज जी ने सूझबूझ से बाद में आधा-आधा लड्डू बाँटकर सारी संगत में प्रसाद की पूर्ति कर दी ।

पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज ने अपने सद्ग्रंथों में जिस प्रकार प्रकृति की गोद में समाहित आश्रमों का वर्णन किया है- फल-फूल, हरियाली, पक्षी मोर इत्यादि अति सुन्दर भाव से दर्शाया है। वही प्राकृतिक छटा अपने ग्वालियर के श्री माधव सत्संग आश्रम में साक्षात् देखने को मिलती है। साधक को आश्रम में बैठकर ध्यान करते हुए पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के सद्ग्रंथों में वर्णित प्रकृति माँ की गोद में बैठे होने का प्रत्यक्ष अनुभव होता है ।

श्री माधव सत्संग आश्रम, श्रीराम शरणम्, ग्वालियर के मंगल उद्घाटन के पश्चात दिल्ली पहुंचकर पूज्यश्री प्रेमजी महाराज ने ग्वालियर के साधकों का धन्यवाद करने हेतु 9 अक्टूबर, 1972 को एक पत्र लिखा था।