अमृतवाणी पाठ की महिमा
20th Jun 2023अमृतवाणी पाठ की महिमा
पूज्यश्री (डॉ.) विश्वामित्र जी महाराज की वाणी
साधकजनो! असंख्य बार मेरी चरण वंदना स्वीकार कीजिएगा । अभी आप सबने मिलकर श्री अमृतवाणी जी का पाठ किया है। यह दास आप सब से अरदास करता है, इसका पुण्य- पाठ रोज सुबह-शाम करते रहिएगा । प्रतिदिन एक बार तो अवश्य करें। मांगलिक है, विघ्न बाधाएँ दूर होती हैं, परमेश्वर की कृपा का व्यक्ति पात्र बन जाता है, परमेश्वर के प्यार का पात्र बन जाता है ।
स्वामी जी महाराज के अपने श्रीमुख वाक्य हैं- जिस प्रकार अमृतवाणी पाठ से मुझे परमात्मा ने अपनी कृपा का पात्र बनाया है, मुझे पूरा विश्वास है कि वह हर एक को अपनी कृपा का पुण्य- पात्र बना सकता है, बनाता है बशर्ते कि आप भी इसका प्रेमपूर्वक पाठ दिन में एक बार अथवा दो बार रोज करते रहें, अधिक बार भी कर सकते हैं
स्वामी जी महाराज ने किसी प्रकार का कोई बंधन नहीं रखा। ऐसा नहीं कहा कि खाली पेट इसका पाठ करना है या नहाकर इसका पाठ करना है इत्यादि, इत्यादि । दिन में किसी भी समय कर लीजिएगा । रात को सोते समय कर लीजिएगा। आप बाथरूम में नहा-धो रहे हैं, उस समय भी आप पाठ कर सकते हैं। स्वामी जी महाराज की तरफ से कोई मनाही नहीं। एक बार करें, दो बार करें, अनेक बार करें।
स्वामी जी महाराज ने लिखा है, इस विश्वास से पाठ करना चाहिए-
“अमृतवाणी का नित्य गाना, राम-राम मन बीच रमाना ।
देता संकट – विपद् निवार, करता शुभ श्री मंगलाचार ।”
यह स्वामी जी महाराज के अपने शब्द, अपने अनुभव के शब्द हैं, अतएव इस विश्वास से पाठ करना चाहिए। अगला पद देखिए –
“तारक – मंत्र राम है, जिसका सुफल अपार ।
इस मंत्र के जाप से, निश्चय बने निस्तार ॥”
निःसन्देह, निश्चय से निस्तार होकर रहेगा। सारी अमृतवाणी में से इन दो पदों पर आप अपना अटल, अविचल विश्वास रखकर पाठ करते हैं तो मुझे कोई संदेह नहीं जो स्वामी जी महाराज ने कहा है, वह बिल्कुल सत्य है | हम सब परमात्मा की कृपा के पात्र बन जाएँगे, हम सब परमात्मा के प्यार के पात्र बन जाएँगे । आप सबको शुभकामनाएँ, मंगलकामनाएँ ।