व्यास पूर्णिमा-विक्रम सम्वत् 2080

Shree Ram Sharnam Gwalior

श्री राम शरणम्

राम सेवक संघ, ग्वालियर

आत्मिक भावनाओं के अन्तर्गत

02nd Jul 2023

आत्मिक भावनाओं के अन्तर्गत
‘जीवन्त शब्द से ही अन्तरात्मा जाग्रत होता है’

एकदा एक भेड़ों का झुंड था । उसमें एक शेर का बच्चा (शावक) भी पला-बढ़ा था । भेड़ों के साथ रहकर शावक अपना आत्म-स्वरूप भूल चुका था और भेड़ों जैसा ही भीरू व डरपोक बन गया था। वह भेड़ों के समान रहता और बर्ताव करता था। जैसे ही किसी शेर के आने की आहट होती, अन्य भेड़ों के समान वह शावक भी भाग उठता। शेर ने उस शावक को भेड़ों के झुंड में देखा । शेर ने उस बच्चे (शावक) को Observe करना शुरू किया। एक दिन नदी के किनारे उसे अकेला देखकर शेर ने उससे कहा- ‘तुम तो शेर हो, मेरे जैसे हो, भेड़ नहीं हो ।’ शावक डरा, फिर उसने पानी में अपना प्रतिबिम्ब देखा । तो अपने-आप को शेर जैसा ही पाया । शेर ने दहाड़ कर बताया और कहा- तुम भी दहाड़ कर दिखाओ। शावक पहले संकोच में दहाड़ नहीं पाया, लेकिन 2-3 बार में वह दहाड़ना सीख गया। शेर की दहाड़ से उसका चैतन्य-भाव जाग्रत हो गया, वह अपने भूले हुए सत्य स्वरूप को जान गया । शेर ने उसे उसके आत्मिक स्वरूप का दर्शन कराया।

पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज ने श्री भक्ति प्रकाश में आत्मिक भावनाओं के अन्तर्गत यही बताया है तथा यही कार्य संत करता है- शिष्य को जीवन्त शब्द की दहाड़ से, चोट से उसकी आत्म जागृति करना, उसका अन्तरात्मा जगाना।

‘शब्द की चोट लगी घट भीतर, भेद गया तन सारा । ‘

संत-महात्मा स्पष्ट करते हैं कि ‘हम केवल शरीर नहीं अपितु उस परम शक्ति अर्थात् परमात्मा (Supreme Power) के अंश हैं और अजर, अमर, नित्य, प्रबुद्ध आनन्दमय, शुद्ध, चैतन्य, जाग्रत आत्मा हैं ।’ एक अनुभवी योग्य व्यक्ति अथवा संत अथवा गुरु से नाम-दीक्षा लेने पर ‘जीवन्त शब्द की चोट से शिष्य की अविद्या की ग्रंथी का भेदन होकर उसका चैतन्य भाव जाग्रत होता है। – एक वरिष्ठ साधिका के विचार।

‘है निज रूप शुद्ध शुभ तेरा, चेतन तत्व सुखों का डेरा।
पाप कर्म की रज से न्यारा, आत्मा है तव उत्तम प्यारा।।
तेरा पद अमृत है ऊँचा, प्रिय रूप है शुद्ध समूचा।
एक टेक श्री राम सहारा, समझ आश्रय अपना भारा ।।’

(श्री भक्ति प्रकाश)