व्यास पूर्णिमा-विक्रम सम्वत् 2080

Shree Ram Sharnam Gwalior

श्री राम शरणम्

राम सेवक संघ, ग्वालियर

उपासक के जीवन में पालन करने हेतु साधन

01st Jul 2023

उपासक के जीवन में पालन करने हेतु साधन 

चार दोष

प्रेम पथ पर पदार्पण करने वाले प्रेमियों को चाहिए कि वे चार दुष्ट दोषों को त्याग दें, उन में से-

• एक मदिरापान है । उपासक को इससे बचे रहना उचित है ।

• दूसरा व्यभिचार है । भगवद्भक्तों में यह दोष नहीं होना चाहिए।

• तीसरा पर-पदार्थ अपहरण है । यह कुकर्म भक्ति धर्म में बड़ा बाधक माना गया है ।

• चौथा असत्य दोष है । सत्य के उपासक में मिथ्या भाषण, वचन-भंग, प्रण प्रतिज्ञा को तोड़ना तथा सत्य का लोप कर देना कदापि नहीं होना चाहिए ।

– पूज्यपाद श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज (भक्ति- प्रकाश से)

सप्त साधन

प्रेमरूप परमेश्वर के उपासक को सप्त साधन प्रतिदिन करने चाहिये-

• प्रथम साधन स्नान, व्यायाम तथा स्वच्छ रहना है।

• दूसरा पवित्र पाठ करना है।

• तीसरा साधन सत्संग है ।

• चौथा राम-नाम का पतित पावन पुण्यमय जाप है।

• पाँचवां राम-प्रेम का प्रचार है । हरि गीत गा कर प्रेम पूर्ण पदों का पाठ सुना कर तथा हरि चर्चा चला कर दूसरे जनों में श्री राम के पवित्र प्रेम को उत्पन्न करना प्रेम-प्रचार है ।

• छठा साधन उपासकों से, भगवद्भक्तों से प्रीतिपूर्वक बर्ताव है।

• सातवाँ साधन जन सेवा और सहायता है ।

ऊपर कहे सात साधन साधकों के लिए स्वर्ग के सोपान हैं, सुख के स्त्रोत हैं और प्रेम पथ में पूरे सहायक हैं।

औषधि और पथ्य

राम-नाम अमोघ आयुर्वेदिक दवा, मूल से रोगनाशक (भव-रोग) – दवा के साथ परहेज अपरिहार्य –

• असत्य का त्याग ।

• पर निन्दा, चुगली का त्याग ।

• निज-स्तुति न गानी, न सुननी ।

• व्यसन रहित ।

• पर-धन मिट्टी समान ।

• पर-स्त्री, पर-पुरुष पर कुदृष्टि नहीं ।

• कर्तापन शून्य ।

• उत्कृष्टता का त्याग ।

यदि परहेज नहीं तो केवल जप पूर्ण लाभ नहीं देता (निरर्थक)

– पूज्यश्री (डॉ.) विश्वामित्र जी महाराज