जपयोग
28th Jun 2023जपयोग
पूज्यपाद श्रीस्वामी जी महाराज की उपासना पद्धति के प्रमुख अंग हैं, विधिपूर्वक ध्यान एवं जाप । हम सब नाम उपासक हैं, हम सब नाम के जापक हैं।
“जपात् सिद्धि, जपात् सिद्धि, जपात् सिद्धि” – अर्थात् जप करने से सिद्धि प्राप्त होती है।
संत तुलसीदास जी का कथन है – “राम जप राम जप राम जप बावरे।”
पूज्यपाद श्रीस्वामी जी का कथन है-
एक घड़ी आधी घड़ी, आधी से भी आध।
राम नाम के जाप से, कटें कोटि अपराध ।।
“जपो जी नित राम राम श्रीराम”
पूज्य श्री महाराज जी का कथन है-
“परमात्मा का सतत् स्मरण सबसे बड़ी सम्पत्ति है। उसका
विस्मरण सबसे बड़ी विपत्ति ।”
गीताचार्य भगवान श्रीकृष्ण का कथन है- “यज्ञों में मैं, जप-यज्ञ हूँ।” “भगवान का नाम स्मरण भी यज्ञ है।”
ध्यान में मानस जप किया जाता है। भाव से, प्रेम से, एकाग्र मन से नाम जप करने से चित्त की शुद्धि होती है और ध्यान में लीनता लाभ होती है।
” जनम-जनम मुनि जतन कराहीं, अंत राम कह आवत नाहीं ।”
इसलिए राम नाम का सतत् जप का अभ्यास करने से अंत समय में नाम-स्मरण हो आता है।
“अंतकाल जो जन जपे, जन्म जीत वह जाय। वेदागम का मर्म है, समझो निश्चय लाय ।।”
यह जपयोग की महिमा है।