व्यास पूर्णिमा-विक्रम सम्वत् 2080

Shree Ram Sharnam Gwalior

श्री राम शरणम्

राम सेवक संघ, ग्वालियर

जीवन पथ पर हल्के यात्रा करें

25th Jun 2023

 

जीवन पथ पर हल्के यात्रा करें !

पूज्य श्री विश्वामित्र जी महाराज द्वारा ग्वालियर के एक साधक द्वारा लिखित पुस्तक ‘Travel light’ के लिए लिखा गया प्राक्कथन

‘What a charming title! The title though sounds worldly but it is full of spiritual wealth.’

“हल्के यात्रा करें” ! यह एक आध्यात्मिक संदेश है। पिछले जन्मों का बोझ जो लेकर आया है जीवन – यात्री, उसे हल्का करे तथा नया बोझ एकत्र न करे, तो एक दिन शून्य हो जायेगा। एक लघु-कथा याद आती है – एक जिज्ञासु किसी संत की शरण में गया, कहा- “महाराज! मुझे परमात्मा का साक्षात्कार करवा दें । ”

संत ने छः छोटे-मोटे पत्थर एक गठरी में डाल युवक को उठवा दिये। एक पहाड़ की चोटी पर चढ़ाई शुरू की । भार लगा, पसीना आया, युवक हांफने लगा। संत ने एक पत्थर गिरवा दिया, यात्रा पुनः शुरू। चोटी पर पहुँचते-पहुँचते सभी पत्थर गिरवाने पड़े । “अब करवाओ भगवद्-दर्शन ।”

संत ने विनम्रतापूर्वक मुस्कुराते कहा- “बेटा! साधारण छः पत्थर उठाकर एक छोटी-सी पहाड़ी पर न चढ़ सके; काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद एवं मत्सर रूपी छः चट्टानों का भीतर बोझ उठाकर प्रभु के दर्शन कैसे कर सकोगे ?” अतः अपने-आपको कुसंस्कारों के बोझ से मुक्त रखेंगे तभी आध्यात्मिक यात्रा पूर्ण करके अपने गंतव्य ( मंजिल) तक पहुँच पाएंगे।

‘Travel light’ अर्थात् जीवन में संस्कारों का बोझ हल्का करते जाओ, चाहे भोग के करो या भक्ति-साधना से करो और आगे बढ़ते जाओ । जब Zero हो जाओगे तो एक (परमात्मा) के साथ युक्त होने योग्य हो जाओगे, तो जितने अधिक Zero, एक साथ लगने से उतने अधिक मूल्यवान हो जाओगे। तब जीवन सार्थक अर्थात् सफल हो जायेगा । अर्थात् यात्रा का अन्त हो जायेगा । क्यों ? क्योंकि परमात्मा का साक्षात्कार हो गया और ‘लक्ष्य की प्राप्ति हो गई।’

तू तो चलता जायगा, लिये भरत को संग, यह संगी है राम का, जिसका रूप न रंग |

मेरे प्यारे पालकी, भारी बहुत न मान, कर्म बोझ से हूँ थका, मर्म भेद यह जान ।।

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जग में तूने प्यार बढ़ाया, कितना सिर पर भार चढ़ाया।

पग-पग मुश्किल होगी रे पगले! भव-सागर से पार तरण में ।