व्यास पूर्णिमा-विक्रम सम्वत् 2080

Shree Ram Sharnam Gwalior

श्री राम शरणम्

राम सेवक संघ, ग्वालियर

नाम चिन्तामणि रत्न अमोल

03rd Jul 2023

नाम चिन्तामणि रत्न अमोल

नाम चिन्तामणि रत्न अमोल, राम-नाम महिमा अनमोल । अतुल प्रभाव अति-प्रताप, राम-नाम कहा तारक जाप ॥

बीज अक्षर महा शक्ति कोष, राम-राम जप शुभ सन्तोष । राम-राम श्री राम-राम मंत्र, तंत्र बीज परात्पर यंत्र ॥

( श्री अमृतवाणी)

पूज्य श्री (डॉ.) विश्वामित्र जी महाराज द्वारा की गई व्याख्या – राम-नाम रूपी चिन्तामणि ऐसा रत्न है, जिसकी महानता का मूल्य आंका नहीं जा सकता । राम-नाम के मूल अक्षर महाशक्ति का स्रोत है । राम- राम जाप शुभ संतोष अर्थात् संतोष देकर धन्य करने वाला है। राम-राम श्रीराम मंत्र तांत्रिक विद्या का भी मूल है तथा सर्वोत्कृष्ट रक्षा कवच है, इससे बढ़कर कोई तंत्र- यंत्र नहीं अर्थात् राम मंत्र-तंत्र भी है और उच्चतर यंत्र भी है।

प्रवचन पीयूष में पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के कथनानुसार-

  • राम-नाम के जपने वाले के पास आसुरी माया कभी खड़ी भी नहीं होती। इस नाम की साधना बहुत उत्तम है।
  • जो राम-नाम जपते हैं, उन पर किसी जादू-टोना का असर नहीं होता ।
  • राम-नाम जपने वाले कभी ज्योतिषियों और जन्म- पत्रियों में विश्वास नहीं करते ।
  • स्वप्न में भी ऐसा विचार न आवे कि कोई और मंत्र कल्याण करेगा या कोई और पथ है अथवा कोई और ढंग है ।

“सूरज मंगल सोम भृगु सुत, बुध और गुरु वरदायक तेरो, राहु केतु की नाहिं गम्यता, संग शनीचर होत हुचेरो ।
जानकी नाथ सहाय करें, जब कौन बिगाड़ करे नर तेरो ।”
– गोस्वामी श्री तुलसीदास जी

अर्थात् इस ब्रह्माण्ड के सभी ग्रह, नक्षत्र, तारे, सितारे आपको आशीष देते हैं। राहु-केतु, शनि कोई भी, कहीं भी आपका अनिष्ट नहीं कर सकते। जब ईश्वर आपका सहायक है तथा राम का वरद् हस्त आपके सिर पर है ।

मीराबाई ने गाया है- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ।
गुरुबाणी में अंकित है- नाम रतन निरमोलक हीरा ।

अर्थात् राम-नाम अनमोल रत्न है तथा राम-नाम जपने वाले को किसी अन्य रत्न धारण करने की आवश्यकता नहीं है ।

हो कृपा उसकी यदि, अणुमात्र ज्यों रेख ।
होवे बेड़ा पार तब, बने कुलेख सुलेख ।
( श्री भक्ति प्रकाश )

ज्योतिष शास्त्र, वास्तुशास्त्र भी एक प्रकार के विज्ञान हैं परन्तु अध्यात्म विज्ञान इन सबसे भिन्न है तथा उच्चतम है । जहाँ राम-नाम की उपासना होती है वहाँ इन सबका कोई प्रभाव नहीं होता ।

बाधा विघ्न विनाश हो, हो सब शुभ संचार । जहाँ राम तव नाम का, गूंजे जय जय कार ।।
( श्री भक्ति प्रकाश )
पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज दृढ़तापूर्वक कहते हैं कि- जब अनन्य भक्ति, पूर्ण श्रद्धा, संशय रहित सुविश्वास एवं अटूट भावना से नाम का ध्यान सिमरन होता है तभी राम-नाम जपने का पूर्ण लाभ मिलता है । जिस शब्द को मनन किया जाये वह मंत्र हो जाता है, जिस शब्द पर चिंतन किया जाये वह यंत्र बन जाता है और इस प्रकार उसमें शक्ति समाहित हो जाती । बीजाक्षर के साथ मिला देने से मंत्र का तांत्रिक यंत्र बनता है । अतः
राम ही मंत्र है!
राम ही तंत्र है!
राम ही यंत्र है!