व्यास पूर्णिमा-विक्रम सम्वत् 2080

Shree Ram Sharnam Gwalior

श्री राम शरणम्

राम सेवक संघ, ग्वालियर

नाम-जाप

27th Jun 2023

नाम-जाप

पूज्यपाद श्रीस्वामी जी महाराज ने अपने अवतरित ग्रंथों में नाम-जाप की महिमा विस्तार से गाई है। प्रवचन पीयूष में नाम-जाप की महिमा प्रभावी एवं अति सरल ढंग वर्णित है। अतः साधकों को इस ग्रंथ का अध्ययन-मनन अवश्य करना चाहिए।

नाम-जाप पूज्य श्रीस्वामी जी महाराज की उपासना-पद्धति का प्रमुख अंग है। श्रीस्वामी जी महाराज राम-नाम की दीक्षा देते समय ध्यान व जाप करने की विधि समझाते हैं। जाप बैठकर, चलते-फिरते, सोते-जागते, सैर करते हुए, कामकाज करते हुए कर सकते हैं। माला अथवा बिना माला के भी जाप किया जा सकता है।

परमात्मा के मंगलमय पतित-पावन नाम, शब्द या मंत्र को विधिपूर्वक मन से, वाणी से, बार-बार नाम के उच्चारण एवं नाम की रटन को जाप कहा जाता है। राम-नाम का जाप बोलकर, कंठ से, मन से किया जा सकता है। मुख से बोलकर बैखरी वाणी से जाप करना दस गुना फलदायक है, कंठ से अर्थात् उपांशु जाप करना सौ गुना फलदायक है, मानसिक जाप हजार गुना फलदायक है। अतएव साधकों को मानसिक जाप करने का निरन्तर अभ्यास करना चाहिए।

जाप करने की मर्यादा बनानी चाहिए। प्रतिदिन दस हजार से कुछ अधिक नाम जाप अवश्य करना चाहिए। समय व सुविधानुसार नित्य अधिक से अधिक जाप करने की संख्या नियत की जा सकती है।

नाम-जाप से मन शांत रहता है। मनोवृत्तियाँ सुधरती हैं। मानव के शारीरिक तथा मानसिक रोग ठीक होते जाते हैं। प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक जाप करने से मानस-बल, वाणी-बल, बौद्धिक- बल तथा भक्ति – बल बढ़ते जाते हैं । अन्तःकरण के पुराने संस्कार मिटते जाते हैं। हृदय निर्मल होता जाता है । जाप से जीवन के अभाव मिट जाते हैं।
नाम-जाप से व्यक्ति के नकारात्मक विचार दूर होकर उसमें सकारात्मकता आती है। खाली समय का शुभ उपयोग जाप करना है। जाप करते रहने से व्यर्थ के विचारों से बचा जा सकता है। इसके लिये नाम-जाप एक अवलम्बन है। नित्य जाप करने वालों में समता भाव आ जाता है। वह किसी से अन्याय नहीं करता किन्तु अन्याय से डरता भी नहीं है। जाप भावनापूर्वक होना चाहिए।

राम नाम का जाप अत्यन्त मांगलिक व कल्याणकारी है। भावना सहित, प्रेम सहित, एकाग्र मन से किया हुआ नाम जाप सिमरन बन जाता है। ऐसा जाप करना ध्यान में अधिक सहायक है। जाप ध्यानसहित करना चाहिए। राम नाम का जाप सभी दुख, चिंता को हरण करने वाला है। शोक दूर करने वाला है। संकट निवारण करने वाला है। मन के संयम के लिये राम नाम जाप अकेला पर्याप्त है। नाम- जाप करना एक अलौकिक कर्म है। नाम-जाप दोषों-दुर्गुणों को विनष्ट कर देता है। सभी कर्तव्य कर्म निभाते हुए नाम का जाप करना आध्यात्मिक तप माना गया है। संत महात्मा, शास्त्र एवं पूज्य श्रीस्वामी जी महाराज बलाढ्य शब्दों में कथन करते हैं-

‘कर्म करो त्यों जगत के धुन में धारे राम । हाथ-पाँव से काम हो, मुख में मधुमय नाम।’

‘एक पंथ दो काज यों, होवें निश्चय जान । भक्ति धर्म का मर्म है, योग युक्ति ले मान ।।’

‘एक पंथ दो काज’ अर्थात् नाम-जाप के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होता है।

नामोपासना अपने आप में पर्याप्त है, समय व्यर्थ नहीं खोना चाहिए। ‘सोते जगते सब दिन याम, जपिए राम-राम अभिराम ।’ नाम- जाप करने से काम रुकते नहीं । दुष्ट संस्कारों को निकालने का एक मात्र साधन नाम-जाप है। अपने कल्याण के लिए जाप स्वयं करना चाहिए।

अधिक जाप करने से शरीर शब्दमय हो जाता है। राम-नाम का जाप रग-रग में बस जाता है। वासनायें दुर्बल होती जाती हैं, शुद्ध भावना पैदा हो जाती है। अंदर यदि नाम बस जाये तो साधक में बाहर आप ही आप प्रसन्नता आ जाती है। राम-नाम जाप के प्रभाव से व्यक्ति सुसंस्कृत होकर निन्दनीय न रहकर वन्दनीय बन जाता है।
पूज्य श्रीस्वामी जी का कथन है- श्रद्धा व विश्वास से एक वर्ष में एक करोड़ नाम – जाप करने से वृत्ति स्वयं शांत हो जाती है और साधक राम-कृपा का पात्र बन जाता है। यदि वह नित्य नाम-जाप की संख्या लाखों में करे तो काया कल्प भी हो सकता है।

राम-नाम के जाप में परमात्मा की सभी शक्तियाँ समाहित हैं। ‘र’ अग्नि का बीज है, ‘अ’ भानु (सूर्य) का बीज है और ‘म’ चन्द्र का बीज है अर्थात् जो शक्तियाँ व गुण अग्नि, सूर्य, चन्द्र में विद्यमान हैं, वही शक्तियाँ व गुण ‘राम’ शब्द में विद्यमान हैं। नाम में नामी समाहित है अर्थात् ‘राम’ शब्द में परमात्मा

विराजमान हैं।

‘राम नाम में राम को

सदा विराजित जान ।’

उपरोक्त भाव विचारों में धारण कर नाम – जाप करने से अति आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

‘राम’ तारने वाला मंत्र है। राम-नाम के संयोग से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं, पूर्ण हो जाते हैं । व्यक्ति धन्य हो जाता है, कृत-कृत्य हो जाता है । सोते-जागते, हर समय, दिन-रात, आठों पहर, नित्य सुन्दर मनोहर राम-राम जपते रहें । संतों का एवं श्रीस्वामी जी महाराज का दृढ़ व निश्चयात्मक कथन है-

‘कलियुग केवल नाम आधारा ।
सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा ।।’

‘तारक मंत्र राम है, जिस का सुफल अपार ।
इस मंत्र के जाप से, निश्चय बने निस्तार ।’