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29th Jul 2024
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पूज्यश्री (डॉ.) विश्वामित्र जी महाराज के अवतरण दिवस पर विशेष
15th Mar 2024पूज्यश्री (डॉ.) विश्वामित्र जी महाराज के अवतरण दिवस पर विशेष
पूज्यश्री (डॉ.) विश्वामित्र जी महाराज के मुखारविन्द से
एक राजा संतानहीन है, उत्तराधिकारी चाहिए। मंत्रियों ने सुझाव दिया- एक, इस प्रकार की योजना बनाई, राजा को पसंद आई। ठीक है, सारे राज्य में घोषणा कर दो एक विशाल मेला होगा। मैं उसमें छिप जाऊँगा, जो कोई उस विशाल मेले में मुझे ढूँढ़ लेगा, वह मेरा उत्तराधिकारी बन जायेगा। उसको मेरा सारा राज्य मिल जायेगा।
बहुत आसान बात, राजा को ढूँढ़ना क्या मुश्किल ! कोई बड़ी शर्त नहीं। मेले का आयोजन हो गया। बड़ी भारी भीड़, यूँ समझियेगा कि सारे का सारा राज्य आज टूट पड़ा वहाँ पर। तरह-तरह की दुकानें लगी हैं। इधर भी दुकानें उधर भी, बीच में से लोग निकलते जा रहे हैं। बहुत दुकानों की बात नहीं करते देवियों और सज्जनों! सबसे पहली दुकान चाट-पापड़ी की, काफी लोग वहाँ रुक गये, राजा की घोषणा है, जो कुछ यहाँ से मिलेगा, सब निःशुल्क। चाट-पापड़ी जिसने खानी है, जितनी मर्जी हो खाओ। No charges कोई पैसा नहीं। काफी सारे वहाँ रुक गये। कुछ लोग आगे बढ़े। आगे देखते हैं तो कपड़े की दुकान है। साड़ी मिल रही है Suit, shirts मिल रहे हैं। तरह-तरह की चीजें Readymade garments मुफ्त मिल रहे हैं, लेते जा रहे हैं लोग, इकट्ठे करते जा रहे हैं। कुछ और आगे बढ़े ज्वेलरी shop सबके सब वहीं रूक गये। सोने के आभूषण, डायमंड, पर्ल्स इत्यादि। सबके सब वहीं के वहीं रुक गये।
एक व्यक्ति आगे बढ़ा है, बढ़ता जा रहा है, कहीं नहीं रुका। आगे जाकर देखता है, एक बड़ा-सा मन्दिर दिखाई दिया। वह मन्दिर में प्रवेश कर गया। मूर्तियाँ कैसी हैं ? दूर से मत्था टेका, लक्ष्य मूर्तियाँ नहीं है, लक्ष्य चाट-पापड़ी नहीं है, लक्ष्य कपड़ा नहीं है, लक्ष्य आभूषण नहीं है, लक्ष्य है राजा को खोजना है एवं राजा का पता पाना है।
एक व्यक्ति बैठा हुआ दिखाई दिया। स्पष्ट है। पुजारी होगा। मन्दिर है, पूजा के लिए बैठा है, पुजारी होगा। उसके पीछे जाकर यह व्यक्ति रुककर खड़ा हो गया है। एक साधक जिसे कहा जाता है, एक जिज्ञासु, एक मुमुक्षु जिसे कहा जाता है, जिसका लक्ष्य मोक्ष के अतिरिक्त, परमात्मा के अतिरिक्त और कुछ नहीं है, ऐसा व्यक्ति उस व्यक्ति के पीछे जाकर खड़ा हो गया है। पुजारी ने मुख मोड़ा, मुख पीछे किया यह व्यक्ति बोला, ‘राजा साहब, आप पुजारी बने हुए हैं।’ लक्ष्य प्राप्त हो गया। उसी वक्त वह उत्तराधिकारी बन गया। उसी वक्त सारे राज्य का मालिक बन गया, क्यों ? वह जिस काम के लिए आया था, उसने वह काम कर लिया।
हमारे जीवन में देवी! परिवार प्रलोभन, व्यापार प्रलोभन, नौकरी प्रलोभन, प्रशंसा की चाह प्रलोभन, यजमान की मांग प्रलोभन, पग-पग पर प्रलोभन। इन प्रलोभनों को जो लांघता हुआ, जो इनकी परवाह न करता हुआ आगे बढ़ता जाता है, वही उस राजा को प्राप्त कर लेता है। संत-महात्मा समझाते हैं, भाइयो! इसी काम के लिए इस संसार में आये हुए हो। ये एक मेला है। ये संसार क्या है ? बहुत बड़ा मेला है। इस मेले में परमात्मा कहीं छिपा हुआ बैठा हुआ है। जिस किसी ने प्रलोभनों में न फंसकर उस परमात्मा को ढूँढ़ लिया, उसने परमात्मा को पा लिया। वह शहंशाहों का शहंशाह हो गया। परमात्मा का उत्तराधिकारी हो गया।
प्रेषक : श्रीराम शरणम्, रामसेवक संघ, ग्वालियर