पूज्यश्री प्रेम जी महाराज के आध्यात्मिक उपदेश
04th Jun 2023पूज्यश्री प्रेम जी महाराज के आध्यात्मिक उपदेश
• ग्वालियर साधना – सत्संग में एक उच्चकोटि के साधक ने पूज्यश्री प्रेमजी महाराज से भेंट की। उनको अपनी आध्यात्मिक अवस्था का वर्णन किया- मैं प्रातः सांय ध्यान तथा 50 हजार का जाप नित्य नियम से करता हूँ। एक शिष्य को अपने गुरु को अपनी आध्यात्मिक अवस्था तथा प्रगति के बारे में बताना चाहिए। पूज्यश्री महाराज जी ने यह सब सुनने के बाद कहा कि आप अब जाप की संख्या कम कर दीजिये और श्रीमद्भगवद् गीता का अध्ययन कीजिये और अपने जीवन को गीता से मिलाइये ।
• एक बार किसी साधक ने पूज्यश्री प्रेम जी महाराज से पूछा- दान किसे देना चाहिए ? तो पूज्यश्री महाराज जी ने उत्तर दिया –
० दान उन्हें देना चाहिए जो मांगते नहीं हैं तथा जो सफेदपोश हैं।
o जो जरूरतमंद हैं ।
• अपने को पुजवाने से एवं अपनी प्रशंसा सुनने से अहम् बढ़ जाता है । हम लोग संत को पूज-पूजकर, प्रशंसा कर-कर के बिगाड़ देते हैं। ऐसा करने से साधना में उन्नति रुक जाती है ।
• परमेश्वर की कृपा का पात्र बनने के लिए निरन्तर अधिक से अधिक नाम-आराधन करते रहना चाहिए। दूसरों को समझाना बहुत अच्छा है। पर देखना तो यह है कि अपने पर आ बनने पर हम कितने स्थिर और शांत रहते हैं। कृपया आप ‘राम-नाम’ जपते रहें ।
• आपको चिंता शोभा नहीं देती। भगवान में अटल विश्वास होना चाहिए। उसकी हर बात में कृपा मानें। आप ही तो गाया करते थे- जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये । ”
• अपने आपको बदल डालने के लिए राम-नाम से अधिक प्रभावशाली और अद्भुत दवा मैं नहीं जानता हूँ। इस पर जितना कोई निर्भर करेगा, जितना अधिक जप करेगा, उतना ही शीघ्र अपने में परिवर्तन अनुभव होगा ।