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29th Jul 2024
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प्राणियों का जीवन-मरण विधाता का विधान है ! – श्रीमद्भगवद् गीता
23rd Sep 2023
‘यह चित्र आदरणीय अंकल जी के जीवन का सार है- अति विनम्र, संकोची परन्तु दृढ़ निश्चयी,
पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के चरणों में प्रसन्नचित्त भाव से राम स्तुति गाते रहे, राम-नाम का विस्तार करते रहे।’
प्राणियों का जीवन-मरण विधाता का विधान है !
(श्रीमद्भगवद् गीता)
पूज्यपाद श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा संस्थापित राम सेवक संघ के वरिष्ठतम – सदस्य, श्री माधव सत्संग आश्रम – श्रीरामशरणम्, ग्वालियर के प्रमुख, गुरुमुखी साधक- आदरणीय श्री मूलचन्द गुप्ता जी दिनांक 19 सितम्बर (मंगलवार) गणेश चतुर्थी के मंगल दिवस पर लगभग 90 वर्ष की लौकिक यात्रा पूर्ण कर परम-धाम को सिधार गए ।
- वे कहा करते थे- ‘जन्म तो मंगलमय होता ही है लेकिन मृत्यु महा मंगलमय होनी चाहिए।’ ऐसी ही महा मंगलमय मृत्यु उन्हें प्राप्त हुई ।
- थोड़ी अस्वस्थता के कारण वे एक माह से सत्संग नहीं आ पाए थे तब सभी साधक स्नेहीजन उनकी तबीयत के बारे में जानना चाहते थे तो वे कहते थे- किसी से मेरी स्वास्थ्य की चर्चा नहीं करना। क्योंकि सभी मेरी चिन्ता करेंगे और उन्हें कष्ट होगा। मैं नहीं चाहता मेरे कारण किसी को कष्ट हो ।
- 3 माह पूर्व, सत्संग कार्य के दौरान उन्होंने यह कहा था- मेरा काम पूरा हो जाएगा तो मैं चला जाऊँगा ।
- परलोक गमन के 1 दिन पूर्व उन्होंने कहा मुझे कटिंग करानी है, शेव बनवानी है अर्थात् उन्हें आभास था कि अब उन्हें अपनी अग्रिम यात्रा के लिए निकलना है। (साधना सत्संग में जाने से पूर्व तथा पूज्य गुरुजनों के पास मिलने जाने से पूर्व भी वे ऐसे ही तैयारी करते थे ।)
- 10 दिन से वे घर में परिवारजनों के मुख से रामधुन तथा श्री अमृतवाणी पाठ सुन रहे थे । श्री भक्ति- प्रकाश से मधुर मिलाप भी सुना। अंतिम दिन सांय 5.00 बजे से श्री गीता जी का 18वां अध्याय सुना। मंगलमूर्ति का शुभ दिन होने के कारण श्री भक्ति – प्रकाश से मंगलाचार सुना । गोधूलि बेला में 6-7 बजे तक ‘मंगल नाम राम- राम’ की ध्वनि में समाधिस्थ होकर वे एक घंटे लगातार बिना पलक झपके अपने स्वामी जी महाराज की प्रतीक्षा कर रहे थे। अंतिम श्वास के साथ ही आँखें बंद हुई, अश्रु बहे और सुखद मंगलमय मधुर मिलन हो गया ।
श्रीरामशरणम् मम् !
- सत्संग न जाने पर भी वे परिवारजनों से सत्संग के बारे में पूरी जानकारी लेते रहे। जैसे उन्होंने सब साधकों को सिधाया है, वे सभी श्री स्वामी जी महाराज के उसी अनुशासन तथा नियमानुसार राम-काज कर रहे हैं। इससे वे सन्तुष्ट थे।
- पारिवारिक जिम्मेदारियाँ पूर्ण करने के साथ राम सेवक संघ की सदस्यता लेते समय – पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज से आजीवन राम- नाम जपते रहने तथा राम-काज करते रहने का संकल्प अपने अंतिम श्वास तक पूर्ण किया ।
- जब कोई उनकी प्रशंसा किया करता तो वे कहते – मेरा कुछ नहीं, मैं जो कुछ भी हूँ वह सब हमारे स्वामी जी महाराज की देन है ।
– एक स्नेही साधक