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29th Jul 2024
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‘राम-नाम में राम को, सदा विराजित जान’
09th Mar 2024‘राम-नाम में राम को, सदा विराजित जान’
पूज्यपाद श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज की आध्यात्मिक पद्धति ‘नामोपासना’ की है। इस सगुण निराकार उपासना पद्धति में हम राम-नाम का आराधन करते हैं। यह पद्धति सुखद, सुलभ, सुगम एवं अति फलदायक है।
नाम क्या ? नाम में क्या शक्ति है? क्या गुण हैं ? नाम की महिमा का महत्व समझकर नाम आराधना करके ही पूर्ण लाभ प्राप्त हो सकता है।
राम-नाम शक्तिमय, कृपामय, आनन्दमय तथा ज्ञानमय है। नाम व नामी में कोई अन्तर नहीं। वे एक ही हैं जैसा कि श्री स्वामी जी महाराज ने कहा है- ‘राम-नाम में राम को, सदा विराजित जान।’
अतः नाम-आराधन, नाम-उपासना हेतु श्री माधव सत्संग आश्रम, श्रीरामशरणम् ग्वालियर में 23 मार्च से 26 मार्च, 2024 तक नामोपासना सत्संग शिविर का आयोजन किया जा रहा है।
नाम-योग एक प्रकार से अध्यात्म-चिकित्सा है!
- नाम-योग अत्युत्तम अध्यात्म-चिकित्सा है। इसमें भगवान एक डॉक्टर है। आत्मा को उन्नत तथा पवित्र बनाने का लक्ष्य होना चाहिये। नाम से आत्मा जग जाता है तथा बुद्धि कुशाग्र हो जाती है। (प्रवचन पीयूष)
- मानस रोग होने पर आध्यात्मिक चिकित्सा करवाने की आवश्यकता होती है। शारीरिक रोग बढ़ने पर लोग अनेक अस्पतालों में देश-विदेश में इलाज कराने जाते हैं। लेकिन आध्यात्मिक रोग को दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं करता। (प्रवचन पीयूष)
- किसी अनुभवी, ज्ञानी नाम-उपासक के सानिध्य में रहकर मानस रोग की चिकित्सा हेतु प्रयास करना चाहिए।
- नाम में ही नामी प्रकट होता है। नामोपासना में यह गहराई है कि नाम की ध्वनि अन्दर बस जाती है और साधक का मन मन्दिर बन जाता है। इस उपासना में बाहरी सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। (प्रवचन पीयूष)
इस आध्यात्मिक नामोपासना सत्संग शिविर के उद्देश्य हैं-
■ अध्यात्म-चिकित्सा के अन्तर्गत नाम- उपासकों की आध्यात्मिक समस्याओं तथा शंकाओं के निराकरण हेतु एक विशेष प्रश्नोत्तर की बैठक भी होगी।
■ आत्म-जागृति, आत्म-कल्याण, चित्त शुद्धि, भगवद् प्रीति में वृद्धि करने तथा अध्यात्मपथ पर अग्रसर होने के इच्छुक साधकजनों के लिए इस सत्संग शिविर में साधकों को मार्गदर्शन दिया जायेगा।
■ पूज्यश्री स्वामी जी महाराज की सगुण निराकार उपासना पद्धति को समझने, सीखने तथा प्रैक्टकली नाम-जाप, नाम-ध्यान करके भक्तिमय जीवनचर्या अपनाने हेतु यह प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया है।
प्रेषक : श्रीराम शरणम्, रामसेवक संघ, ग्वालियर