पूज्यश्री प्रेम जी महाराज के निर्वाण दिवस (29 जुलाई) पर विशेष
29th Jul 2024
लेख पढ़ें >
ग्वालियर साधना शिविर का भावात्मक विवरण – 1963
10th Nov 2023
ग्वालियर साधना शिविर का भावात्मक विवरण – 1963
जय जय राम, जय जय राम, जय जय राम, राम, राम धुन परम पूज्यश्री प्रेमजी महाराज ने उठाई। पूज्यपाद स्वामी जी महाराज का जीवन्त चित्र सबके सम्मुख दीवार के सहारे रखा हुआ है। पूज्यश्री प्रेम जी महाराज के हाथ प्रेम से ऊपर उठ गए हैं। धुन में तीव्रता आ रही है, अधिष्ठानचित्र में प्रार्थी की रक्तिमता कहती हुई ज्ञान गंगा को स्वर्णिम बना रही है ।
बाजे ने संकेत कर दिया है कि धुन ऊँची उठेगी। पूज्यश्री प्रेमजी महाराज के नेत्र बंद हैं। करतल ध्वनि पीछे कैसे रह सकती है ? लोहे का चिमटा भी झंकार में बोल उठा ‘जय जय राम, जय जय राम, जय जय राम, राम, राम’
कीर्तन करते-करते बरबस ही ध्यान पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के चित्र की ओर जाता है। जिस पर प्रकाश बाईं ओर पड़ रहा है। श्री स्वामी जी महाराज का मुखारविन्द दैदीप्यमान सा प्रतीत होता है। जैसे बैठे सुन रहे हैं वे हमारा कीर्तन, बैठे देख रहे हैं हमारी ओर, बैठे सोच रहे हैं कैसे भाग्यशाली हैं मेरे बच्चे कि अपने आपको प्रभु नाम में लीन कर देते हैं।
‘भजिए राम नाम सुखदाई’ गा उठे श्री मूलचन्द जी । राग भैरव का प्रतीत होता है। प्रातः की नीरव बेला में यही राग भाव को उद्दीप्त करने में बहुत सक्षम होता है। भ्रम, भय, संशय तथा भूल नष्ट हो गये हैं। मानव जन्म अमोलक पाकर, उत्तम कमाई कर लो।’ भजिए राम-नाम सुखदाई ।’ राम-नाम तो मधुरतम है। सुरति टिका कर राम- नाम को सिमरो । पाप-ताप नष्ट कर देते हैं वे । हमारे सब दिनों के सहाई भी वही हैं ।
गति आ रही है कीर्तन में । श्रीयुत लाला भगवान दास कत्याल जी ध्यान में निमग्न बैठे हैं । शरीर अचल तथा स्थिर है। पूज्यश्री प्रेमजी महाराज झूम उठे हैं । तालियाँ तेजी से बजकर अब धीमी हो गई ।
‘सर्व शक्तिमते परमात्मने श्रीरामाय नमः’
गाते-गाते पूज्यश्री प्रेमजी महाराज कमरे के बाहर चले जा रहे हैं। शेष साधकवृन्द श्रद्धापूर्वक घुटने टेक कर प्रणाम कर रहे हैं।
[पूज्यश्री प्रेम जी महाराज के समय प्रकाशित मासिक पत्रिका में ग्वालियर के विद्वान साधक श्री शशि शेखर नागर के लेख (1963) का अंश ]