व्यास पूर्णिमा-विक्रम सम्वत् 2080

Shree Ram Sharnam Gwalior

श्री राम शरणम्

राम सेवक संघ, ग्वालियर

‘एक साधारण व्यक्ति का असाधारण व्यक्तित्व’

02nd Oct 2023

श्री रामशरणम् झाबुआ में जब एक साधक ने पूज्यश्री महाराज जी से फोटो खींचने की अनुमति मांगी तो
श्रीमहाराज जी बोले- मैं तो मूलचन्द जी के गले लगकर फोटो खिचवाऊँगा।

‘एक साधारण व्यक्ति का असाधारण व्यक्तित्व’

[ श्रद्धा-सुमन ]
हमारे परम प्रिय अंकल जी पूज्य श्री मूलचन्द गुप्ता जी एक जाग्रत, चैतन्य आत्मा थे। वे तीनों गुरुजनों के प्रिय, सुकर्मी योगी, निष्काम सेवक, कर्त्तव्यनिष्ठ एवं गृहस्थ संत थे। उन्होंने रामायण तथा गीता के अनुरूप अपना जीवन जीया ।
पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज द्वारा विरचित भक्ति प्रकाश को उन्होंने मात्र पढ़ा ही नहीं था अपितु उसे जीवन में बसाया था। स्थित प्रज्ञ के लक्षण तथा भक्ति और भक्ति के लक्षणों को उन्होंने आत्मसात् किया था। वे साधकों को बार- बार श्री स्वामी जी महाराज के सद्ग्रन्थों के उदाहरण देकर उनका मार्गदर्शन करते थे । उन्होंने पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के बताए आदर्शों तथा नियमों का सुदृढ़ होकर पालन किया । ( इसके लिए उन्होंने अपने व्यक्तिगत- सम्बन्ध भी दांव पर लगा दिए | ) उनका कहना था- मुझे परलोक गमन पर श्री स्वामी जी महाराज को जवाब देना है, इन सांसारिक सम्बन्धियों को नहीं । राम-नाम के बल तथा अपने गुरुजनों पर उन्हें संशय रहित सुविश्वास था।
साइकिल चलाने वाले एक निर्धन साधारण युवक से धनाढ्य, सम्पन्न होने के बाद भी उन्होंने अपना सादापन, सरलता, सात्विकता तथा विनम्रता का स्वभाव नहीं छोड़ा। पूज्यश्री डॉ. विश्वामित्र जी महाराज के निर्वाण के 11 वर्षों तक वे यही समझाते रहे- पूज्यपाद श्रीस्वामी जी महाराज के कथनानुसार नाम-दीक्षा ‘जीवन्त’ शब्द से ही फलीभूत होती है। हीरे की परख जौहरी को ही होती है, अन्य साधारण जन के लिए वह काँच समान ही होता है। उनकी पारखी नजर ही नाम-दीक्षा के लिए योग्यतम व्यक्ति का चयन कर पाई ।
उन्होंने 24 जुलाई, 2021 को राम नाम के – विस्तार तथा ग्वालियर सत्संग के साधकों का हित सोचकर ही प्रचारक-पद प्रदान करने का निर्णय लिया था। इसमें उनका अपना कोई निजी स्वार्थ नहीं था। वे तो राम-काज करने आए थे, राम-काज करके श्री माधव सत्संग आश्रम, श्रीरामशरणम्, ग्वालियर के साधकों हेतु अद्वितीय अनमोल व्यवस्था करके चले गए। पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज, पूज्यश्री प्रेम जी महाराज तथा पूज्यश्री (डॉ.) विश्वामित्र जी महाराज द्वारा प्रदत्त अनेक आशीर्वाद तथा अधिकारों को गुरु आज्ञा मानकर तथा कर्त्तव्य समझकर सत्संग कार्य किया।
गुरुजनों के साथ अपनी तस्वीर, अपने भजन अथवा अन्य प्रशंसा रूपी सामग्री को सार्वजनिक करने के लिए कभी भी तैयार नहीं होते थे । प्रशंसा रूपी थाली परमात्मा के आगे खिसका देते थे । हम सभी साधक अपने परम प्रिय अंकल जी के सदैव ऋणी रहेंगे। अंकल जी ! ऐसे ही हमारा मार्गदर्शन करते रहिएगा। कभी प्रेमपूर्वक तो कभी डांटकर हमें प्रेरित करते रहिएगा। अपना आशीर्वाद देते रहिएगा। आप से मिला प्रेम सदा याद रहेगा। आप सदैव हमारे हृदय में रहेंगे ! आपको बारम्बार प्रणाम !
– सभी स्नेही साधकों की ओर से श्रद्धा-सुमन