व्यास पूर्णिमा-विक्रम सम्वत् 2080

Shree Ram Sharnam Gwalior

श्री राम शरणम्

राम सेवक संघ, ग्वालियर

पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज की साधकों के लिए सीख

01st Jun 2023

 

पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज की साधकों के लिए सीख (Teachings)

(साधना-सत्संग, हरिद्वार 1958 में श्री स्वामी जी महाराज का कथन )

• राम-नाम के उपासकों का प्रथम साधन स्नान, व्यायाम एवं स्वच्छ रहना है। वेशभूषा शिष्ट हो । कपड़े साफ-सुथरे, धुले हुए एवं प्रेस किये हुए हों, जूते/चप्पल पॉलिश किये हुए हों ।

• शेविंग करनी चाहिए एवं बालों में कंघी होनी चाहिए ।

• हमारे गुरुजन नित्य व्यायाम करते थे । साधकों को विधिपूर्वक पाँच बार सूर्य नमस्कार करना चाहिए । प्रतिदिन गहरी सांस लेते हुए लगभग आधा घंटे भ्रमण करना चाहिए । साधक को कम से कम लगभग पाँच प्राणायाम नित्य करना चाहिए । (भक्ति प्रकाश, पृष्ठ-169 पर देखें)

• माह में एक बार पूरे शरीर की मालिश भी करनी चाहिए।

• गुरु-संत या विशेष सम्मानीय व्यक्ति का स्वागत या विदाई करते समय सिर पर टोपी पहनना चाहिए।

• सत्संग में तथा घरों में जूते-चप्पल पंक्तिबद्ध रखने चाहिए ।

• साधकों का व्यवहार विनम्र एवं शिष्ट हो । छींक, उबासी, डकार एवं खाँसी के समय मुख पर रूमाल अवश्य रखना चाहिए ताकि आवाज न आये।
• साधना – सत्संग के समापन पर कक्ष की सफाई करके जाना चाहिए। अन्यत्र होटल, धर्मशाला या किराये का घर छोड़ते समय भी कमरा साफ (व्यवस्थित) करके जाना चाहिए ।

• नित्य प्रातः जागते ही माता-पिता एवं गुरु को मन ही मन प्रणाम करें।

• माता-पिता, गुरु एवं बड़ों को आदर-सम्मान दें । शिष्टाचार का पूरा ध्यान रखें । (भक्ति प्रकाश, पृष्ठ 278 पर देखें) –

• भोजन प्रारंभ करने से पूर्व ये दोहे पढ़कर परमेश्वर का भोग लगाना चाहिए :

अन्नपते ! यह अन्न है, तेरा दान महान ।
करता हूँ उपभोग मैं, परम अनुग्रह मान ।।
अन्नपते ! दे अन्न शुभ, देव दयालु उदार ।
पाकर तुष्टि सुपुष्टि को, करूँ कर्म हितकार ॥

फिर इसी प्रकार भोजन करने के पश्चात् ये दोहे पढ़कर धन्यवाद करना चाहिए :

धन्यवाद तेरा प्रभु, तू दाता ‘सुख’ भोग ।
सारे स्वादु भोज्य का, रसमय मधुर सुयोग ।।
विविध व्यंजन भोज्य सब, तू देवे हरि आप ।
खान-पान आमोद सब, तेरा हि सुप्रताप ।।

(भक्ति प्रकाश, पृष्ठ – 23 पर देखें)

• भोजन करने के पश्चात् थोड़ा आराम करना चाहिए। यदि आराम करने का समय न हो तो यह क्रिया करने से पाचन में लाभ मिलेगा तथा स्फूर्ति आएगी –

० भोजन के पश्चात् सीधे लेट जाएँ (पीठ के बल) 8 बार गहरी श्वांस (deep breath) लें।

० उसके बाद दाई करवट लेटें तथा 16 बार गहरी श्वांस लें ।

० इसके पश्चात् बाई करवट लेटें तथा 32 बार गहरी श्वांस लें।

• यात्रा में गीता जी सदैव अपने साथ रखनी चाहिए।

• साधकों के विचार सदैव सकारात्मक होने चाहिए एवं उन्हें प्रसन्नचित रहना चाहिए ।