पूज्यश्री (डॉ.) विश्वामित्र जी महाराज के आध्यात्मिक सन्देश
07th Jun 2023पूज्यश्री (डॉ.) विश्वामित्र जी महाराज के आध्यात्मिक सन्देश
• जैसी करनी वैसा फल, आज नहीं तो निश्चय कल ।
• परमात्मा का स्मरण सबसे बड़ी सम्पत्ति एवं परमात्मा का विस्मरण सबसे बड़ी विपत्ति ।
• मन की शांति परम आनंदित, राम हमको दीजिये । आत्मनिर्भर परम-निर्भर, दिव्य जीवन दीजिये ॥
• हे परमात्मा! मैं तेरा हूँ और तू ही मेरा है।
• जो आप भगवान् को नहीं खिला सकते हो, वह आप न खाइये । जो आप भगवान को नहीं पिला सकते हो, आप न पीजिये । जो काम आप भगवान् को समर्पित नहीं कर सकते, वह स्वयं भी कीजिये ।
• जो परमात्मा को सुहृद नहीं अपितु परम- सुहृद जान लेता है, उसे परम-शान्ति मिल जाती है । परमात्मा अनुकूल परिस्थिति देता है तो परम हितकारी और प्रतिकूल परिस्थिति देवे, तो महा मंगलकारी है ।
• शास्त्र कहता है- मृत्यु का समय, स्थान एवं ढंग निश्चित है । इस तथ्य को तथा आप्तजनों के वचनों को अक्षरशः संशयरहित स्वीकार करना ही विश्वास है ।
• परमेश्वर की करणी में कोई त्रुटि नहीं, कोई दोष नहीं है । परमेश्वर कीकरण को सहर्ष शिरोधार्य करना ही भक्ति है ।
• आचरण से ही व्यक्ति की वास्तविक पहचान होती है। हम सबका व्यवहार बहुत मृदु और सौम्य होना चाहिए ।
• परमात्मा की शक्ति ही राम-राम जपा रही है । हे राम ! तू मेरी हर आवश्यकता के लिए पर्याप्त है। तू है तो सब कुछ है, तू नहीं तो कुछ भी नहीं ।
• जो निंदनीय को वंदनीय बना दे, वह है राम- कृपा ।
जो अयोग्य को सुयोग्य बना दे, वह है राम-कृपा ।
जो असम्भव को सम्भव कर दे, वह है राम कृपा ।