व्यास पूर्णिमा-विक्रम सम्वत् 2080

Shree Ram Sharnam Gwalior

श्री राम शरणम्

राम सेवक संघ, ग्वालियर

मंत्र-योग, नाम-योग, आध्यात्मिक-योग, राज-योग, सहज-योग एवं परम-योग

21st Jun 2024

पूज्यपाद श्रीस्वामी सत्यानन्द जी महाराज के अनुसार

मंत्र-योग, नाम-योग, आध्यात्मिक-योग, राज-योग, सहज-योग एवं परम-योग

‘पा कर, विकसे क्रम से, त्यों मंत्र से योग’

जिस प्रकार बीज, जल, मिट्टी और अनुकूल मौसम के सहयोग (मेल) से धीरे-धीरे वृक्ष बन जाता है, उसी प्रकार मंत्र जाप से निरन्तर आध्यात्मिक प्रगति होती रहती है। मंत्र-योग अर्थात् ऐसी पद्धति, जो मंत्र की साधना से भगवद्-मिलन करा दे।
धारणा, ध्यान और समाधि तीनों का मंत्र से योग, मंत्र-योग कहलाता है। नाम का जाप करो और उसके अर्थ की भावना में लीन हो जाओ, यह मंत्र-योग की विधि है।
साधना के मार्ग में श्री राम स्वयं सहायक होते हैं क्योंकि इस मंत्र के ये ही अधिष्ठातृ देवता हैं। मंत्र जाप करने वाले उपासक को यह निश्चय करना चाहिये कि वह मंत्र जाप से अपने-आप को `श्रीराम’ के पास पहुँचा रहा है और उसकी कृपा का पात्र बनता चला जा रहा है। इस धारणा के साथ जो उपासक जप करता है, वह ब्रह्म-सन्निधि को लाभ किया करता है। यह मंत्र योग का माहात्म्य है।
अध्यात्म उन्नति के सब अंग ‘मंत्र’ में उसी प्रकार समाये हुये हैं जिस प्रकार बीज में वृक्ष समाया हुआ होता है। नाम बीजाक्षर के आराधन से ही योग का विकास अपने-आप होता चला जाता है। योग उन्नति की चिन्ता उपासक को नहीं हुआ करती। उसे किसी बात का ध्यान होता है तो केवल ‘मंत्र’ जाप का। उसको उन्नत करना मंत्र के देवता का काम है क्योंकि इस मार्ग में, सन्त लोग ‘मंत्र’ के देवता को मंत्रमय ही मानते हैं।
नाम-ध्यान तथा नाम-योग बहुत ही लाभदायक, शीघ्र सिद्धिकारी, अल्पकाल में सफलता का दाता तथा थोड़े प्रयत्न से ही आत्मा को जगा देने वाला, सुगम ध्यान और सहज योग है। इस योग में साधक अपने परमेश्वर के समीप होता है। वह उसी अनन्त हरि का आव्हान करता है और समाधि काल में उसी में लयता लाभ कर लेता है।
आध्यात्मिक योग का तात्पर्य, श्री राम का मंगलमय महा मेल ही माना है, उस आनंदमय अनंत में लीनता कहा है, स्वसत्ता की जागृति समझा गया है और मन की शान्ति तथा समाधान ही बताया है।
ऐसा नाम-ध्यान राज योग तथा सहज योग कहा गया है। सन्तजन इसको भक्ति योग भी कहा करते हैं। इसकी विशेषता यह है कि इसमें अभ्यासी को भगवान् का आशीर्वाद मिल जाया करता है। राम कृपा से इसमें सिद्धि भी सुगमता से मिल जाती है।
उपासक लोग, इसी कारण श्री राम-नाम रूप मधुर धुन में रमण करना, श्री राम-नाम रूप महामंत्र में मन लगाना, श्री राम-नाम में तन्मय हो जाना और श्रीराम-नामोपासना में निमग्नता का अलभ्य लाभ लेना परम-योग कहा करते हैं।
[राम सेवक संघ, ग्वालियर के वरिष्ठ साधक की धरोहर से]
प्रेषक : श्रीराम शरणम्, रामसेवक संघ, ग्वालियर