पूज्यश्री प्रेम जी महाराज के निर्वाण दिवस (29 जुलाई) पर विशेष
29th Jul 2024
लेख पढ़ें >
‘सारी दुनिया इक पासे, मेरा राम प्यारा इक पासे ।’
18th Oct 2023यह चित्र रेलवे स्टेशन ग्वालियर का है। पूज्य श्री (डॉ.) विश्वामित्र जी महाराज जनवरी 2012 में साधना सत्संग ग्वालियर के लिए पधारे।
वे दिल्ली से ट्रेन में यह शॉल अपने कंधों पर ही रख कर लाए थे तथा स्टेशन पर उतरते ही यह शॉल आदरणीय श्री मूलचन्द अंकल जी के कंधों पर सौंप दी।
‘सारी दुनिया इक पासे, मेरा राम प्यारा इक पासे ।’
राम सेवक संघ का सदस्य होने के नाते अंकल जी द्वारा निभाये गये कर्त्तव्य….
■ पूज्यपाद श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा राम-नाम के प्रचार-प्रसार हेतु तथा सत्संग सम्बन्धी कार्यक्रमों के आयोजन हेतु आध्यात्मिक संस्था ‘राम सेवक संघ’ की स्थापना की गई थी। इस संस्था का कार्य श्रीरामशरणम् के सिद्धान्तों तथा विचारधारा को पूर्णतया आध्यात्मिक एवं विशुद्ध रखना था ।
■ पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज द्वारा संस्थापित राम सेवक संघ के सदस्यों द्वारा ही पूज्यश्री प्रेम जी महाराज को गुरु पद प्रदान किया – गया था। यह बात पुराने वरिष्ठ साधकों को ज्ञात है ।
■ राम सेवक संघ का सदस्य होने के नाते आदरणीय श्री मूलचन्द गुप्ता जी ने पूज्यश्री प्रेम जी महाराज के परलोक गमन के पश्चात् श्री स्वामी सत्यानन्द धर्मार्थ ट्रस्ट के तत्कालीन चेयरमैन आदरणीय श्री विरमानी जी को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने पूज्यश्री (डॉ.) विश्वामित्र जी महाराज का नाम गुरु पद के लिए सुझाया। पूर्व चेयरमैन विरमानी साहब द्वारा 22 अक्टूबर, 1993 को आदरणीय श्री मूलचन्द जी को लिखा गया पत्र –
इस संदर्भ में उनका पत्राचार पूज्यश्री (डॉ.) विश्वामित्र जी महाराज से भी चलता रहा । दिनांक 7.11.1993 को पूज्यश्री महाराज का श्री मूलचन्द जी को लिखा गया पत्र –
मनाली
7.11.93
श्रद्धेय मूलचन्द भैय्या,
शत्-शत् नमन ।
पूज्य श्री विरमानी जी को सम्बोधित पत्र अवलोकनार्थ प्राप्त कर कृतार्थ हुआ। आपके सौजन्य, सौहार्द्र की प्रशंसा हेतु उपयुक्त शब्द नहीं, कृपया क्षमा करें। मैं ऐसे उदार शब्दों के यत्किंचित भी योग्य – नहीं। यदि आपका पत्र आज न मिला होता तो मैंने श्री विरमानी जी की सेवा में पत्र प्रेषित कर देना था कि दिल्ली में अशान्ति एवं तनाव का कारण मैं हूँ। भैय्या सच मानो, विश्वास करो, आपके इस पत्र से पहली बार विदित हुआ कि इस पदवी को प्राप्त करने के लिए इतने – सारे सदस्य हैं। नम्रता नहीं, इन सबमें से अयोग्य मैं ही हूँ । वहां सभी को मेरी सादर वन्दना । राम मिलन के ऐसे आशीर्वाद देते रहें ।
श्री रामाश्रित विश्वामित्र
राम सेवक संघ का वरिष्ठतम सदस्य होने के नाते पूज्यश्री (डॉ.) विश्वामित्र जी महाराज के परलोक गमन के पश्चात् आदरणीय श्री मूलचन्द जी ने रिकॉर्डेड वीडियो- दीक्षा प्रणाली को लेकर श्री स्वामी सत्यानन्द धर्मार्थ ट्रस्ट को कई बार समझाया, पत्र लिखे तथा किसी योग्य व्यक्ति को प्रचारक- पद प्रदान करने के लिए आग्रह किया ।
25 दिसम्बर, 2019 को दिल्ली में हुई ट्रस्ट के साथ अन्तिम मीटिंग करने के बाद उन्हें (श्री मूलचन्द जी को ) समझ आ गया था कि उन्हें झूठे आश्वासन दिये जा रहे हैं तथा पूज्यपाद श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज के सिद्धान्तों, अनुशासन तथा विचारधारा का लोप हो रहा है। तब उन्होंने निर्णय लिया कि पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज की साधना पद्धति, विशुद्ध आध्यात्मिक विचारधारा जिसमें कि नाम – दीक्षा, साधना – सत्संग, आरती की बैठक यथावत श्री माधव सत्संग आश्रम, श्रीरामशरणम् ग्वालियर में जीवित रहेगी, हम इन सर्वोच्च सिद्धान्तों तथा सर्वश्रेष्ठ विचारधारा का लोप नहीं होने देंगे। | श्री माधव सत्संग आश्रम समिति के सदस्यों, वरिष्ठ साथकों तथा राम सेवक संघ के वरिष्ठतम सदस्य होने के नाते सभी ने 24 जुलाई, 2021, व्यास – पूर्णिमा के आध्यात्मिक पर्व पर सुश्री (डॉ.) ज्योत्सना जी को विधिवत प्रचारक- पद प्रदान कर नाम-दीक्षा का अधिकार प्रदान किया । इस सेवा को वे दक्षतापूर्वक सुचारू रूप से निभा रही हैं। श्रीरामशरणम् ग्वालियर में राम-नाम का विस्तार हो रहा है।
■ राम सेवक संघ की सदस्यता ग्रहण करते समय पांच बिन्दु के प्रारूप वाले प्रतिज्ञा पत्र पर पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज ने श्री मूलचन्द जी से हस्ताक्षर कराकर प्रतिज्ञा दिलाई थी जिसका उन्होंने आजीवन सुदृढ़ता से पालन किया। अपने स्वामी जी महाराज को दिये गए वचन, प्रण तथा प्रतिज्ञा को अक्षरशः निभाया।
■ आदरणीय श्री मूलचन्द अंकल जी ने राम सेवक संघ का विस्तार किया। उनके द्वारा लिए गए निर्णयों पर हमें पूर्ण विश्वास है तथा गर्व है। श्री माधव सत्संग आश्रम, श्रीरामशरणम् ग्वालियर के साधक सदैव उनके ऋणी रहेंगे तथा उनके दिये गये मार्गदर्शन में इस राम-काज का विस्तार करने हेतु प्रतिबद्ध रहेंगे। चाहे इसके लिए हमें कितना भी आलोचना व अपमान सहना पड़े । वे पूज्यपाद स्वामी जी महाराज की यह धुन गाया करते-
‘सारी दुनिया इक पासे मेरा राम प्यारा इक पासे ।’